वैशाख
मास की पूर्णिमा
इस साल 30 अप्रैल,
सोमवार को है।
इस दिन ही
भगवान बुद्ध का
जन्म हुआ था।
इसी दिन बोधगया
में पीपल के
वृक्ष के नीचे
उन्हें बुद्धत्व की प्राप्ति
हुई थी और
वैशाख पूर्णिमा के
दिन ही भगवान
बुद्ध ने गोरखपुर
से 50 किलोमीटर दूर
स्थित कुशीनगर में
महानिर्वाण की ओर
प्रस्थान किया था।
दुनियाभर के बौद्ध
गौतम बुद्ध की
जयंती को धूमधाम
से मनाते हैं...
बुद्ध पूर्णिमा न सिर्फ
भारत बल्कि दुनिया
के कई अन्य
देशों में भी
पूरे हर्षोल्लास के
साथ मनाई जाती
है। श्रीलंका, कंबोडिया,
वियतनाम, चीन, नेपाल
थाईलैंड, मलयेशिया, म्यांमार, इंडोनेशिया
जैसे देश शामिल
हैं। श्रीलंका में
इस दिन को
'वेसाक' के नाम
से जाना जाता
है, जो निश्चित
रूप से वैशाख
का ही अपभ्रंश
है।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भगवान बुद्ध को विष्णु जी का 9वां अवतार बताया गया है। इसलिए हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा के दिन तमाम हिंदू वर्त रखते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप जलाते हैं। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।
बुद्ध पूर्णिमा का महत्व
हिंदू धार्मिक ग्रंथों में भगवान बुद्ध को विष्णु जी का 9वां अवतार बताया गया है। इसलिए हिंदू धर्म के लोगों के लिए भी बुद्ध पूर्णिमा का विशेष महत्व है। बुद्ध पूर्णिमा या वैशाख पूर्णिमा के दिन तमाम हिंदू वर्त रखते हैं और भगवान की पूजा-अर्चना करते हैं। बुद्ध पूर्णिमा के दिन गंगा स्नान का भी विशेष महत्व है। मान्यता है कि इस दिन स्नान करने से व्यक्ति के पिछले कई जन्मों के पापों से मुक्ति मिल जाती है। यह स्नान लाभ की दृष्टि से अंतिम पर्व माना जाता है। बुद्ध पूर्णिमा पर बौद्ध मतावलंबी बौद्ध विहारों और मठों में इकट्ठा होकर एक साथ उपासना करते हैं। दीप जलाते हैं। रंगीन पताकाओं से सजावट की जाती है और बुद्ध की शिक्षाओं का अनुसरण करने का संकल्प लेते हैं।
महात्मा बुद्ध का ज्ञान
महात्मा बुद्ध ने हमेशा मनुष्य को भविष्य की चिंता से निकलकर वर्तमान में खड़े रहने की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया को बताया आप अभी अपनी जिंदगी को जिएं, भविष्य के बारे में सोचकर समय बर्बाद ना करें। बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनके ज्ञान की रौशनी पूरी दुनिया में फैली। महात्मा बुद्ध का एक मूल सवाल है। जीवन का सत्य क्या है? भविष्य को हम जानते नहीं है। अतीत पर या तो हम गर्व करते हैं या उसे याद करके पछताते हैं। भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं। दोनों दुखदायी हैं।
महात्मा बुद्ध ने हमेशा मनुष्य को भविष्य की चिंता से निकलकर वर्तमान में खड़े रहने की शिक्षा दी। उन्होंने दुनिया को बताया आप अभी अपनी जिंदगी को जिएं, भविष्य के बारे में सोचकर समय बर्बाद ना करें। बिहार के बोधगया में बोधिवृक्ष के नीचे महात्मा बुद्ध को ज्ञान की प्राप्ति हुई और उनके ज्ञान की रौशनी पूरी दुनिया में फैली। महात्मा बुद्ध का एक मूल सवाल है। जीवन का सत्य क्या है? भविष्य को हम जानते नहीं है। अतीत पर या तो हम गर्व करते हैं या उसे याद करके पछताते हैं। भविष्य की चिंता में डूबे रहते हैं। दोनों दुखदायी हैं।
MY MAHAUPAY FOR BUDDHA PURNIMA
पूर्णिमा के दिन
चंद्र अपनी कलाओं
से युक्त रहता
है, इसलिए जिन
लोगों को कोई
मानसिक रोग है,
मानसिक तनाव महसूस
कर रहे हैं,
वे इस दिन
रात्रि में चांदी
के बर्तन में
साफ पानी में
थोड़ा सा गंगाजल
डालकर रातभर चांद
की चांदनी में
रखें। फिर इस
जल को चांदी
के ही किसी
बर्तन में भरकर
रख लें। इस
जल का थोड़ा-थोड़ा सेवन
रोज करने से
मानसिक रोग ठीक
हो जाते हैं।
इस जल में
और जल मिलाते
जाएं तो यह
कभी समाप्त नहीं
होगा। यह जल
अनेक प्रकार के
मानसिक रोगों में आराम
देता है।
पूर्णिमा के दिन मिश्री डालकर खीर
बनाएं
- पूर्णिमा के दिन मिश्री डालकर खीर बनाएं और इसे 9 वर्ष तक की सात कन्याओं का पूजन कर उन्हें खिलाएं। इससे आर्थिक सम्पन्न्ता बनी रहती है। व्यापार में लाभ होता है, नौकरी में प्रमोशन मिलता है।
- वैसे तो हमेशा ही घर में साफ-सफाई और सकारात्मक वातावरण रखना चाहिए, लेकिन पूर्णिमा के दिन इस बात का विशेष ध्यान रखना चाहिए। सूर्योदय से पूर्व उठकर घर में साफ-सफाई करें। स्वयं स्नान करने के बाद घर में गंगाजल और गौमूत्र का छिड़काव करें। घर के मुख्य द्वार पर हल्दी, रोली या कुमकुम से स्वस्तिक बनाएं। कार्यस्थल पर भी गंगाजल का छिड़काव करें।
पूजा के समय गाय के घी का दीपक जलाएं
- पूजा के समय गाय के घी का दीपक जलाएं। धूप लगाएं और कपूर जलाएं। परिवार सहित देवी लक्ष्मी-विष्णु और भगवान बुद्ध की पूजा करें।
- ध्यान करें।
- लक्ष्मी माता को मखाने की खीर, साबूदाने की खीर या किसी सफेद मिठाई का भोग लगाएं। पूजा के बाद यह प्रसाद बाटें। ध्यान रखें कि आज के दिन घर में कलह का माहौल बिल्कुल न बने।
शाम के समय चंद्रमा को जल अर्पित करें
शाम के समय
चंद्रमा को जल
अर्पित करें। धूप-दीप
से उनका पूजन
करें। भगवान की
कृपा आप पर
जरूर होगी।
पूर्णिमा की रात्रि
में तुलसी की
माला से ऊं
नमो भगवते वासुदेवाय
मंत्र का लगातार
जाप करने से
विष्णु-लक्ष्मी की कृपा
प्राप्त होती है।
धन संपत्ति की
प्राप्ति होती है।
HAPPY
BUDDHA PURNIMA
RECITE ONE OF MY FAVORITE MANTRAS ON
BUDDHA PURNIMA
"Om Mani Padme Hum"
Acharya Vikas Kumar Malhotra
Lal Kitab Astro Centre (LKAC)
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