Sunday 3 February 2019

Mauni Amavasya 2019: मौनी अमावस्या पर बन रहा है दुर्लभ संयोग - करें यह महाउपाय और पायें महावरदान


Day of Mauni Amavasya - 04th February, 2019 (Monday)

वैसे तो अमावस्या प्रत्येक मास में पड़ती है, परन्तु माघ मास की अमावस्या का विशेष महत्व है क्योंकि ऐसी मान्यता है कि ब्रहमा जी ने इसी दिन मनु और सतरूपा को उत्पन्न कर सृष्टि का निर्माण कार्य आरम्भ किया था। माघ मास के कृष्ण पक्ष की अमावस्या, मौनी अमावस्या के नाम से प्रसिद्ध है। इस पवित्र तिथि को मौन या चुपकर रहकर अथवा मुनियों के समान आचरण पूर्वक स्नान-दान करने का विशेष महत्व है। इसी कारण इसे मौनी अमावस्या कहा जाता है। मौनी अमावस्या के दिन सोमवार का योग होने से इसका महत्व कई गुना बढ़ जाता है। अमावस्या इस मास का सबसे बड़ा पर्व माना जाता है। पुराणों में मौनी अमावस्या के दिन त्रिवेणी स्नान की जो महिमा वर्णित की गई है, वह स्वर्ग एंव मोक्ष को देने वाली है।

27 वर्ष बाद मौनी अमावस्या पर फिर से वही योग पड़ रहे हैं जो वर्ष 1992 में पड़े थे। अनेक योगों के पड़ने से पर्व का महत्व और बढ़ गया है। रविवार से तीर्थ यात्रियों का हरिद्वार आना शुरू हो जाएगा। वर्ष 1992 में तीन फरवरी के दिन मौनी अमावस्या सोमवार को पड़ने के कारण सोमवती हो गई थी। संयोग से उस दिन हरिद्वार अर्द्धकुंभ का प्रमुख स्नान भी था। इसी प्रकार इस बार मौनी अमावस्या चार फरवरी सोमवार को पड़कर सोमवती हुई है और प्रयाग अर्द्धकुंभ का मुख्य स्नान इसी दिन पड़ रहा है। संयोग यह भी है कि 27 वर्ष पूर्व जो सिद्धी योग था वह योग इस बार सिद्धी के साथ साथ महोदय योग के रूप में भी आ रहा है। सोमवती अमावस्या के दिन चंद्रमा का श्रवण नक्षत्र विद्यमान रहेगा। खास बात यह है कि भगवान सूर्य का प्रवेश इसी नक्षत्र में हो रहा है। सूर्य इस समय मकर राशि में मौजूद हैं। सूर्य के मकर राशि में रहते हुए मौनी अमावस्या का पड़ना अपने आप में एक महायोग है।

बारह महीनों में से चार महीने सबसे पवित्र माने गए हैं। इन चार महीनों में भी माघ का पर्व सबसे पवित्र है। यही कारण है कि इस बार सोमवती अमावस्या के स्नान का पर्व पूर्ण पर्वकाल लेकर आया है। प्रात:काल सूर्योदय से लेकर सायंकाल सूर्यास्त तक पूर्ण मुहूर्त मौजूद रहेगा। इस कारण श्रद्धालु किसी भी समय गंगा में डुबकी लगा सकते हैं।
इस बार की मौनी अमावस्या दरिद्र योग, ग्रहण योग, केमुद्रम योग और शक्त योग लेकर भी आई है। इसका अर्थ है कि जिनकी कुंडली में ये योग हों, गंगा स्नान करने से उनका दुर्योग मिट जाएगा। यह पर्व व्यवसाय, संतान और भौतिक सुख भी लेकर आ रहा है। गंगा आदि पवित्र नदियों में एक भी गोता लगाने से जन्मों के पाप मिट जाते हैं। शास्त्रों के अनुसार इस दिन मौन रहकर तिल, दूध और गुड़ तिल से बनी वस्तुओं का दान करना चाहिए। इस दिन मौन व्रत का विशेष महत्व है। यह पर्व उत्तरायण में पड़ने से और भी अधिक महत्वपूर्ण हो चला है।

मौनी अमावस्या का महाउपाय

मौनी अमावस्या को स्नान करके अपने नित्यकर्म से निवृत्त होने के बाद तिल, तिल के लड्डू, तिल का तेल, आंवला और वस्त्र आदि का दान करना चाहिए। आज के दिन आप एक दिन, एक सप्ताह, एक महीना तथा एक वर्ष का मौन व्रत रखकर आप शररीरिक, वाचिक व मानसकि कष्टों से मुक्ति पा सकते है।

ऐसा कहा जाता है कि मौनी आमवस्या के दिन गंगा जल अमृत में बदल जाता है। इस दिन अगर आप व्रत रख रहे हैं तो प्रात उठ कर सबसे पहले स्नान करें और फिर भगवान विष्णु और भगवान शिव की पूजा करें। इस दिन पीपल के पेड़ की पूजा करनी चाहिए। ऐसा करने से सौभाग्य में वृद्धि होती है। मोनी अमावस्या के दिन 108 बार तुलसी परिक्रमा करें। सूर्य को जल दें। अगर आप गंगा में स्नान नहीं कर सकते तोह पानी मैं गंगा जल मिलाकर स्नान करें।

जिन जातकों का बुघ ग्रह पीडि़त या अशुभ फल दे रहा है, वह लोग मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रहकर तुलसी के पेड़ का पूजन करें तथा प्रातःकाल तुलसी पत्तियों का सेवन करें। इसी दिन किन्नरों को हरी चूडि़यां व हरे रंग की साड़ी का दान करने से बुध ग्रह शुभ फल देने लगता है।

जिन लोगों का चन्द्र ग्रह अशुभ फल दे रहा है, वह लोग मौनी अमावस्या के दिन मौन व्रत रहें तथा खीर से भोलेनाथ का भोग लगाकर गरीबों में वितरण करें।

पितरों के नाम पर कुछ दान अवश्य दें।

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Acharya Vikas Malhotra
LAL KITAB ASTRO CENTRE (LKAC)
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